
मेरी कहानी मेरा क़िस्सा हो तुम..तुम्हे कैसे भुला सकती हूं कैसे दिल से मिटा सकती हूँ ,
मेरी साँसों का हिस्सा हो तुम हम प्यार की डोर से बंधे भी हुए हैं टूटे भी हुए हैं...और हाथ से हाथ ये बंधे भी हुए हैं छूटे भी हुए हैं हम साथ है पर पास नही दूर ही सही पर मेरी तो मंज़िल हो तुम..मेरी कहानी .. मेरा क़िस्सा हो तुम..तुम्हे कैसे भूल सकती हूँ कैसे दिल से मिटा सकती हूँ , मेरी साँसों का हिस्सा हो तुम...मेरी कहानी मेरा क़िस्सा हो तुम..
1 comment:
हाथ से हाथ ये बंधे भी हुए हैं छूटे भी हुए हैं हम साथ है पर पास नही दूर ही सही पर मेरी तो मंज़िल हो तुम....
dil ke zajbaat ko kya khoobsoorati se shabdon main dhaalaa hai! sach main pyaar aisaa hi hota hai
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